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Shergarh

शेरगढ़


Shergarh

सन् 1540 में शाही शक्ति डोल गई और बाबर का बेटा हुमायूं शेर शाह सूरी से पराजित हो गया। शेर शाह ने दिल्ली के एक अन्य शहर को बसाया। यह शहर जिसे शेरगढ़ के नाम से जाना जाता है, दीनपनाह के खंडहरों पर बसाया गया था, जिसे हुमायूं द्वारा बसाया गया था। शेरगढ़ के अवशेष आज के पुराने किले के रूप में देखे जा सकते हैं। एक बार फिर हुमायूं को सत्ता प्राप्त हुई, उसने निर्माण कार्य पूरा करवाया और शेरगढ़ में शासन करने लगा। फिरोज शाह ने महरौली में जमाली-कमाली की मस्जिद और जमाली के मकबरे का निर्माण करवाया। .

जिस पुराने किले को आज देखा जाता है, उसका निर्माण शेर शाह ने 1540 में द्वितीय मुगल बादशाह हुमायूं को पराजित करने के बाद करवाया था। मूल रूप से इस किले का निर्माण हुमायूं ने अपनी राजधानी दीनपनाह के रूप में करवाया था। शेर शाह ने दीनपनाह को ज़मींदोज कर दिया अपनी राजधानी के लिए भवन का निर्माण आरंभ करवाया जिसके लिए अंलकरणों का इस्तेमाल किया गया। दिल्ली पर 1555 में पुनः हुमायूं का कब्जा हुआ और उसने शेर शाह द्वारा पुराने किले में छोड़े गए निर्माण कार्यों को पूरा करवाया। 1556, शेर मंडल की सीढ़्यों से उतरते समय उसकी मृत्यु हो गई, जिसका उपयोग वह एक पुस्तकालय के रूप में करता था। हुमायूं और शेर शाह के किले के निर्माण कार्य आज पर्यटकों के आकर्षण के केन्द्र हैं। हुमायूं का मकबरा (विश्व विरासत वाला स्मारक), सर्वश्रेष्ठ मुगलकालीन इमारतों में एक है, जिसका निर्माण हुमायूं की विधवा हमीदा बानु बेगम द्वारा करवाया गया था। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंतिम मुगल बादशाह ने अपने तीन राजकुमारों के साथ हुमायूं का मकबरे में शरण ली थी। किन्तु दुर्भाग्यवश, उनके पूर्वज उनकी रक्षा के लिए नहीं आए। यहीं कैप्टन हडसन ने उन्हें पकड़ लिया तथा अंततः बादशाह को रंगून (अब यांगोन) में जेल में डाल दिया गया।